अनबुझ सवालो के हल का नाम शरद पवार साहब ! ( ब्लॉग )

आज राष्ट्रवादी काँग्रेसचे अध्यक्ष शरद पवार यांचा वाढदिवस. यानिमित्त राष्ट्रवादीच्या अल्पसंख्यांक आघाडीचे प्रदेशाध्यक्ष हाजी गफ्फार मलीक यांनी व्यक्त केलेल्या या भावना.

हमारे महामहिम और महाराष्ट्र की शान   सन्माननीय शरदराव जी पवार साहब का आज जन्म दिन ! इस मौके पर उन्हे दिल की गहराईओसे शुभ कामनाए…!
ईश्‍वर   उन्हे अच्छी सेहत और देश की सेवा करनेका पुरजोर मौका प्रदान करे. मैं और मेरे तमाम साथी   अपने आप को बेहद सौभाग्यशाली मानते है की, हमे ऊनकी लिडरशिप मे काम करने का मौका मिला ।

खास तौरपर अल्पसंख्यांक समाजके प्रति उनका जो नजरिया, रुझान है,वो अपने आप मे काबिले  तारीफ है । सार्वजनिक जीवन के ५५  साल से भी अधिक लंबे सफर मे  अवाम  की भलाई के अनगिनत काम साहब ने  किये, लेकीन इस मे सबसे ज्यादा यादगार और  जो माईल स्टोन  है, वो है  सन १९९३ साल की दुर्घटनाये और ऊन दुर्घटनाओ  पर  बतौर  मुख्यमंत्री जीस दिलेरी और  मुस्तैदिसे से काम किया, वो अपने आप मे एक  मीसाल साबीत हुवी है।  उसी  तरह  लातूर, उस्मानाबाद जिले मे की  भूकम्प की  दुर्घटना और १९९४ साल का मराठवाडा विद्यापीठ नामांतर का प्रश्‍न ।  ये तमाम घटनाये एक साथ आयी, लेकीन साहाब ने इन विपरीत परिस्थिती ओको  जिस  आत्मविश्‍वास और जबाबदारी से निपटा,  वो देश, विदेश मे एक मिसाल साबित  हुवी है ।

१२ मार्च १९९३ को मुंबई मे अलग अलग जगह १३ बम ब्लास्ट की दिल दहला देने वाली घटनाये हुवी । लेकीन  एक ही दिन बाद, मुंबई का जनजीवन सामान्य करनेका हुनर साहब ने दिखाया, जो अन्य किसीं भी नेता के लिये नामुमकीन था ।

जनता का विश्‍वास, प्रशासन पर मजबूत पकड, जनता के प्रति जबाबदेही, महाराष्ट्र  को  सवारनेका काम इ स से बडा क्या हो सकता है? मराठावाडा विद्यापीठ नामांतर का प्रश्‍न भी बहोत ही पेचीदा था।  भारत रत्न बाबा साहब आंबेडकर जी का नाम इस विद्यापीठ को देने का प्रस्ताव असेम्ब्ली ने साल १९७८ मे ही पारित किया था । हालाकी ये प्रस्ताव भी हमारे साहब ने बतौर मुख्यमंत्री रहते हुवे किया था । लेकीन कुछ तांत्रिक कारणोसे असे पुरा करनेमे मुश्किले आयी।  नामांतर के प्रश्‍न ने सुवर्ण और दलित समाजमे   बढती दरार रोकने का सफल प्रयास पवार साहेब ने  विद्यापीठ नाम विस्तार के माध्यम से किया और मराठवाडा मे अमन चैन कायम किया । तकरीबन सोलह  साल से ये विषय प्रलंबित था ।  किसान भाईओ की उन्नती के लिये, हर वो मुमकिन  कृषी योजनाओको  लागू करनेमे कोई भी कसर बाकी नही रखी । महिला वर्ग के सशक्तीकरण हो या  आधुनिक शिक्षण  की सुविधाये , ग्रामीण जनता को सहकारी संस्थाओ के मध्यम से प्रगती के नये रस्ते  बनाए ,  औद्योगिकरण को
नयी दिशा दी ।  ऐसे कर्तृत्ववान  नेता  ही हमारे समाज को दिशा दे सकते है !

सुना है की लोग उसे आंख भरके देखते है ।
साहब के चर्चे जहाँ भर के लोग देखते है ।
रूके तो गर्दिशे उसका तवाफ करती
चले तो उनको जमाने ठरहके देखते है ॥

अलहाज गफ्फार मलीक

प्रदेशाध्यक्ष अल्प संख्याक आघाडी, महाराष्ट्र

 

gaffar malik

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